...

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जिंदगी
गुलशन ए बहार जिंदगी तेरा क्या कहना,

कभी रुलाती है, तो कभी हसाती है

हर बार कुछ नए रंग दिखाती है|



कुछ बिछड जाते है, कुछ मिल जाते है|

महीने गुजर जाते है , साल बीत जाते है।



क्या कहूँ तुझे , मैं तेरे रंग देख कर हैरान हूं

कुछ भी हो पर में तो तेरा आज भी कदरदान हॅूं ।



बहुत कुछ सिखा दिया तूने मुझे ,

कल चलता था , आज भागता हॅूं ।

कल रोता था , आज हस्ता हूँ

कल गलतियाँ करता था, आज उनसे सीख गया हूँ ।

कल तक बेपरवाह था आज जिम्मेदारीयो से घिर गया हूँ।



जब पिछे मुडता हॅूं तो आज भी थम जाता हूँ।

जब याद आती है बचपन की तो ए जिन्दगी खुद पर मुस्कुराता हॅूँ ।


© khushpreet kaur