ज़रूरी
ज़रूरी नहीं हर जज़्बे को लफ़्ज़ों का साथ मिले,
ज़रूरी नहीं हर ख़ामोशी को कोई बात मिले.
किया इंतज़ार जाग कर उस नज्म-ए-सहर का,
ज़रूरी नहीं हर सितारे को उसकी रात मिले.
जैसे ज़रूरी नहीं सभी के पास हर शय का मिलना,
ज़रूरी नहीं हर शय को कोई कायनात मिले.
मुश्किलों...
ज़रूरी नहीं हर ख़ामोशी को कोई बात मिले.
किया इंतज़ार जाग कर उस नज्म-ए-सहर का,
ज़रूरी नहीं हर सितारे को उसकी रात मिले.
जैसे ज़रूरी नहीं सभी के पास हर शय का मिलना,
ज़रूरी नहीं हर शय को कोई कायनात मिले.
मुश्किलों...