prem
सोच रही हूं बनू मैं गीता , युगों युगों तक बोली जाऊ।
बनकर प्रेम पुनीता उसके ही रंग मे रंग जाऊ ।
या फिर सीता बनकर उसके संग वनों को जाऊ।
या वंशी बनकर कान्हा के अधरौ से लग जाऊ।
या बनकर ग्वालिन माधव...
बनकर प्रेम पुनीता उसके ही रंग मे रंग जाऊ ।
या फिर सीता बनकर उसके संग वनों को जाऊ।
या वंशी बनकर कान्हा के अधरौ से लग जाऊ।
या बनकर ग्वालिन माधव...