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Poem of seasons
The poem in both languages Hindi and English

कोहरा छाया ओस गिरी, जाड़े से जनवरी भरी।
दिन छोटे हैं रात बड़ी, फूल लिए फरवरी खड़ी।
तेज हुई सूरज की टार्च, महुआ से महका है मार्च।
गांव गली तपते खपरैल, आग लगाता है अप्रैल।
लाया धूप पसीना रे, मारे मई महीना रे।
तेज बडे़ लू के नाखून, जान बचाओ आया जून।
वर्षा लेकर आई, कितनी सुखद जुलाई।
नाचे मयूरा होकर...