मेरी दास्तां
लत लगी है मुझको, हर नई लत लगाने की
कभी खुशी में, कभी गम में, उलझ जाने की
बिना उलझे इसमें, जिंदगी सुलझाऊं कैसे
बात नहीं लगती मुझको, यह हजम हो जाने की
उसने कहा जब, तुम भी सुनाओ अपनी राम कहानी
दे दी कसम तब, उसको किसी को ना बताने की
तंग...
कभी खुशी में, कभी गम में, उलझ जाने की
बिना उलझे इसमें, जिंदगी सुलझाऊं कैसे
बात नहीं लगती मुझको, यह हजम हो जाने की
उसने कहा जब, तुम भी सुनाओ अपनी राम कहानी
दे दी कसम तब, उसको किसी को ना बताने की
तंग...