कौन।
ढुलकते आँसू सा सुकुमार
बिखरते सपनों सा अज्ञात,
चुरा कर अरुणा का सिन्दूर
मुस्कराया जब मेरा प्रात,
छिपा कर लाली में चुपचाप...
बिखरते सपनों सा अज्ञात,
चुरा कर अरुणा का सिन्दूर
मुस्कराया जब मेरा प्रात,
छिपा कर लाली में चुपचाप...