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अजनबियों का सफ़र
#गुज़रतेअजनबी

ज़िन्दगी के इस सफ़र में हम सभी,
हैं बस कुछ गुजरते अजनबी,
कहने को तो रिश्ते-नाते, दोस्त-यार,
परिवार और प्यार, हमारे हैं सभी।
किन्तु यह मोह-माया, यह लघु चलचित्र,
ये चकाचौंध, ये रंग, क्षणिक हीं हैं अभी।
यात्रा हीं नियति है, और मृत्यु है यथार्थ,
वरना इस अनंत कालचक्र में घूमते हम सभी,
हैं बस कुछ गुजरते अजनबी।

दो पल को ठहर, हंस-बोल लें ज़रा,
अरे इतनी फुर्सत भी नहीं,
इंसानियत जीवन चक्रव्यूह में, ऐसे है फंसी।
आंखों के क्षणिक स्पर्श से बांट लेते हैं हम,
बस थोड़ा-सा अपना ग़म,
और थोड़ी-सी उसकी खुशी।
वरना इन खुरदुरे रास्तों पर चलते हम सभी,
हैं बस कुछ...