...

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क्या आज़ाद हुए हम ?
आख़िर कब तक सिसकती रहेगी मातृभूमि !
बहेगी कब तक अश़्कों के धार, कब तक रहेगी यह नमी !
आज़ादी का जश्न मनाएँ हम तो बड़े शान से ...
समझेंगे कब तक मतलब इसकी हम दिल और जान से !
नारी - पुरूष भेदाभेद , वर्णबाद , जातिवाद ...
चलेगा कब तक इन...