...

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क्या आज़ाद हुए हम ?
आख़िर कब तक सिसकती रहेगी मातृभूमि !
बहेगी कब तक अश़्कों के धार, कब तक रहेगी यह नमी !
आज़ादी का जश्न मनाएँ हम तो बड़े शान से ...
समझेंगे कब तक मतलब इसकी हम दिल और जान से !
नारी - पुरूष भेदाभेद , वर्णबाद , जातिवाद ...
चलेगा कब तक इन मुद्दों पर सियासी - मज़हबी बाद विवाद !
कौन है ऊँचा, कौन नीचा, कौन है बड़ा, कौन छोटा ?
बदलेंगे कब तक सोच अपना और चेहरे का यह मुखौटा !
शहीदों की क़ुर्बानी, तिरंगे की आन ना हो बदनाम ,
बाँटेंगे कब तक राज्य के नाम पर टुकड़ों में यह वतन तमाम !
हम अन्तरमन से ख़ुद को बदले , मानविकता हो पहचान ...
आख़िर कब तक आज़ाद होंगे सही मायने में हमारा हिन्दुस्तान !