जीवन का पाठ
देख कर उस परिंदे को
मन मेरा भर आया था
छोटा सा था वो, पर उसने
बाज़ से सर टकराया था
लडते -लडते मुश्किल से
अपनी जान बचाया था
लहु लुहान हो गिरते पडते
ज़मीन से आ टकराया था
उडने कि चाहत करता, पर
न ज़रा भी हिल पाया था
पंख...
मन मेरा भर आया था
छोटा सा था वो, पर उसने
बाज़ से सर टकराया था
लडते -लडते मुश्किल से
अपनी जान बचाया था
लहु लुहान हो गिरते पडते
ज़मीन से आ टकराया था
उडने कि चाहत करता, पर
न ज़रा भी हिल पाया था
पंख...