...

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शायद,,
खुद से ही उलझ गई हूं खुद में,,,
अब शायद ही कभी सुलझ पाऊंगी,,
एक जंग जारी है मेरी खुद से,,
क्या ही फतेह पाऊंगी,,
ख्वाबों के खौफ ने जगा रखा है,,
की हारने के डर ने नींदों को उड़ा रखा है,
अब शायद ही सो पाऊंगी,,
जिंदगी की ऐसे मंजर देखे,,
की क्या ही मैं जी पाऊंगी,,
कल मिली थी मौत रास्ते में,,
बड़ी हसीं लगी वो मुझको,,
इश्क में ऐसे फना हुए,,
अब शायद ही बका रह जाऊंगी,,
अब जुदाई हमसे सहन नहीं होती,,
शायद जल्द ही मर जाऊंगी,,
कर दिया मैंने खुद का कत्ल,,
शायद ही,, अब लौट के आऊंगी,,

© AK 💕 "crush 🥰"