...

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"कोई अजनबी तो नहीं हम...!!!"
दुनिया के ख़त्म होने से ठीक पहले,
मैं तुम्हारी दहलीज़ पर खड़े होकर,
तुम्हारा नाम धीरे धीरे पुकारूंगा,
ताकि उसे सिर्फ़ तुम सुन सको,
मैं नहीं चाहता हूँ कि कोई ग़ैर,
उन अंतिम क्षणों में भी ये जान सके,
की मैं तुम्हें जानता हूँ..
वरना हज़ारों सवाल उठेंगे,
कि मैं कौन हूँ तुम्हारा,
तुम्हारा मेरा रिश्ता क्या है,
आख़िर मैं तुम्हारा नाम क्यों पुकार रहा हूँ,
इन सब बातों का ज़वाब देने का समय नहीं होगा हमारे पास,
तो तुम उस रोज़ दरवाज़े के ठीक सामने ही बैठी रहना,
और जब मैं तुम्हारा नाम पुकारूँ तो तुम,
दौड़ कर बस मेरे सीने से लग जाना..