...

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SAD
किसको बताऊं दिल की जाकर,

मैं तो खुद से छिप कर बैठा हूं ।

दर्द, दुखांत, उदासियों को,

मैं खुदमें लिफकर बैठा हूं ।

बस कलम से है बंधन

मेरा, तभी बेयान यह लिख कर बैठा हूं ।

किसको बताऊं दिल की जाकर,

मैं तो खुद से छिप कर बैठा हूं ।

मेरी जिंदगी की क्या बात करूँ,

यह हशर है हसीन नहीं ।

आए है बड़े शिकवे इसमें ,

यह बेरंग है रंगीन नहीं ।

यह सावन की बरसातों में,

मैं किसकी दीद कर बैठा हूं ।

किसको बताऊं दिल की जाकर,

मैं तो खुद से छिप कर बैठा हूं ।
PRASHANT