...

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बिना जवाब के सवाल
क्यूँ ......??? का
मुझे नही मिला जवाब
समझकर प्रेम को भी लोग
क्यू मुकर जाते है
दूर रहकर भी कैसे????
लोग दिल मे उतर जाते है ।।
कोई एडियाँ रगड थक जाता है
किसीकी झोली मे
अचानक से टपक जाता है ।
प्रेम क्यूँ सरल राह नही चलता
जो दुर्लभ है
उसके लिए ही है मचलता ।
क्यू कोयल की कूक
भरती है हूक मन मे
क्यू पपीहे का क्रंदन
ह्रदय स्पंदन है करता ??
खिलती हुई कलियो का
इंतज़ार क्या है ??
फूलों मे भरी खुमार क्या है ??
भंवरे इतने बेकरार क्यूँ है ???
क्यूँ धरती मे होती है तपन
क्यूँ लूटाता है प्यार घन..??
मुझे लगता है
इन सबके पास सिर्फ दिल होता है
इंसानो के जैसा दीमाग नही
दीमाग कभी किसिको निश्छलता नही देता
आप सोचिए
अगर भंवरे को दीमाग होता तो
क्या अपनी जींदगी को
सिर्फ एक रात मे कुर्बान करता ??
ऐसे ही प्रेमियों मे निश्चलता होती है
आंखे प्रेम देखती है
कान प्रेम राग सुनते है
होठों पे सिर्फ प्रेमरस रहता है
परवाने को जलने से परहेज नही
चकोरा को तडपने से गुरेज नही
सिर्फ हम इंसानो को ही है छल
इससे ही खो देता है
अपने सारे खुशी के पल