...

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परिंदा
आंखों में उम्मीद लिए अंधेरों में रोशनी के दीये जलाऊंगा
क्या हुआ अभी वक्त नहीं आया मेरा
मैं तो परिंदा हू ,उड़ना एक दिन सीख ही जाऊंगा ।
वक्त के साथ-साथ इरादे मेरे मजबूत होते चले जाएंगे निराशा मिलेगी माना ,पंख पत्थर से हर बार टकराएंगे
बारिश होगी आंधी आएगी,
मैं गगन को चीरकर अंबर भेद उड़ान भर जााऊंगा
मैं तो परिंदा हूं उड़ना एक दिन जरूर सीख जाऊंगा
निराश छाएगी अंधियारा आएगा तेज तूफान से बदन कप कपाऐगा
पर यकीन है खुद पर
मैं परिवार से दूर रहकर परिवार के लिए घोंसला बनाना एक दिन जरूर सीख जाऊंगा
मैं तो परिंदा हूं,उड़ना एक दिन जरूर सीख जाऊंगा

specially for boys &girl who sacrifice their dream