परिंदा
आंखों में उम्मीद लिए अंधेरों में रोशनी के दीये जलाऊंगा
क्या हुआ अभी वक्त नहीं आया मेरा
मैं तो परिंदा हू ,उड़ना एक दिन सीख ही जाऊंगा ।
वक्त के साथ-साथ इरादे मेरे मजबूत होते चले जाएंगे निराशा मिलेगी माना ,पंख पत्थर से हर बार...
क्या हुआ अभी वक्त नहीं आया मेरा
मैं तो परिंदा हू ,उड़ना एक दिन सीख ही जाऊंगा ।
वक्त के साथ-साथ इरादे मेरे मजबूत होते चले जाएंगे निराशा मिलेगी माना ,पंख पत्थर से हर बार...