...

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अक्सर मैं.......
अकसर मैं
हवाओं से झगड़ती.. रूठती..
रोती गिड़गिड़ाती.... हूँ
अनन्त में खोए हुए हो तुम
तेरा पता पूछती हूँ

बदहवास सी हो जाती हूँ मैं
उधेड़ने लगती हूँ जहन की परतें
हर परत में तेरी आहट तो है
पर तुम कहीं नज़र नही आते

सोचती हूँ समेटूँ बिखरीं परतों को
कुछ तो खबर लूँ ठहरी हुई जिन्दगी की
तुम तो फुर्सतों के मालिक ठहरे
जब आओगे.. तब ही आओगे...
आसमानों में रहने वाले..
भला तुम कब आओगे..

#आसमान
#फुर्सतों
#जिंदगी
#समेटूँ
#बदहवास
#जहन

© ऋत्विशा