...

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एक खाली-सी कुर्सी
#अनुपस्थितगूँज

खाली-सी पड़ी, धूल खाती
लकड़ी की वह कुर्सी,
मेरे पिता के यादों को समेटे
अकेले कोने में पड़ी
धीरे-धीरे बूढ़ी हो रही है।

जब भी मैं उसे देखता हूं,
साफ करने की कोशिश करता हूं,
मुझे घूरती है, कुछ कहती है।
जैसे मुझे डांटने को तैयार
मुझे "भटकने" से रोकना चाहती है।

जैसे कुछ सबक सिखाना हो मुझे
मुझे जीवन का मर्म समझाना चाहती है।
उसकी चरमराती आवाज़ें ...