...

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फ़साना
जलते हुए अंगारों में अफसाने कहां ढूंढे
चलती हुई राहों में अब पैमाने कहां ढूंढे।

वो रात कुछ अलग थी तेरे तसव्वुर की
जो गुज़र गये यू ही वो तराने कहां ढूंढे।

खुद की तलाश है अब मुझे यहां भीड़ में
इस गुमां में हूं अब मुझे ज़माने कहां ढूंढे।

चांद सूरज भी हैं आसमां में तारे भी हैं
जो दिल को सुकून दे वो नज़ारे कहां ढूंढे।