6 views
फ़साना
जलते हुए अंगारों में अफसाने कहां ढूंढे
चलती हुई राहों में अब पैमाने कहां ढूंढे।
वो रात कुछ अलग थी तेरे तसव्वुर की
जो गुज़र गये यू ही वो तराने कहां ढूंढे।
खुद की तलाश है अब मुझे यहां भीड़ में
इस गुमां में हूं अब मुझे ज़माने कहां ढूंढे।
चांद सूरज भी हैं आसमां में तारे भी हैं
जो दिल को सुकून दे वो नज़ारे कहां ढूंढे।
चलती हुई राहों में अब पैमाने कहां ढूंढे।
वो रात कुछ अलग थी तेरे तसव्वुर की
जो गुज़र गये यू ही वो तराने कहां ढूंढे।
खुद की तलाश है अब मुझे यहां भीड़ में
इस गुमां में हूं अब मुझे ज़माने कहां ढूंढे।
चांद सूरज भी हैं आसमां में तारे भी हैं
जो दिल को सुकून दे वो नज़ारे कहां ढूंढे।
Related Stories
22 Likes
0
Comments
22 Likes
0
Comments