फिर से
दिवाली में फिर यही सफर होगा
फिर से मेरे सामने मेरा घर होगा
फिर से खेलेंगे हम सारे भाई बहनों के साथ
फिर से खुशियों का समंदर होगा
फिर से माँ के हाथो की रोटी होगी
फिर से दिन और राते छोटी होंगी
फिर से बाजार में मस्ती होंगी
फिर से चीजे सस्ती होंगी
फिर से पापा का यूं प्यार होगा
फिर से गांव का दीदार होगा
वोही पगडंडी वोही खेतो के बीच
फिर से जमकर श्रृंगार होगा
फिर से आएगा हमे आनंद
खुशी से झूम उठेगा मन
हर कष्ट...
फिर से मेरे सामने मेरा घर होगा
फिर से खेलेंगे हम सारे भाई बहनों के साथ
फिर से खुशियों का समंदर होगा
फिर से माँ के हाथो की रोटी होगी
फिर से दिन और राते छोटी होंगी
फिर से बाजार में मस्ती होंगी
फिर से चीजे सस्ती होंगी
फिर से पापा का यूं प्यार होगा
फिर से गांव का दीदार होगा
वोही पगडंडी वोही खेतो के बीच
फिर से जमकर श्रृंगार होगा
फिर से आएगा हमे आनंद
खुशी से झूम उठेगा मन
हर कष्ट...