...

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वैसे नहीं होते
ख़्वाबों के तजुर्बे हक़ीक़ी, वैसे नहीं होते,
जो देखे थे नज़रों ने अक्सर, वैसे नहीं होते.

समझी जो हमने यकदिली, वो बस ज़ेहन में थी,
नज़दीकियों के मार्के वो दीगर, वैसे नहीं होते.

शब के रंगों ने कोशिश की ज़ुल्फ़ों से वस्ल की,
और चेहरे जो सोचे हर सहर, वैसे नहीं होते.

बस जो भी था, नादान दिल की कुछ तमन्ना थी,
और हर तमन्ना पूरी होने के मौके, वैसे नहीं होते.

चाहत है उनकी दिल में, कोई इसका गिला नहीं,
बस चाहा उन्हें जो सोच कर, वो वैसे नहीं होते.
© अंकित प्रियदर्शी 'ज़र्फ़'

तजुर्बे - अनुभव (experience)
हक़ीक़ी- असली, सच्चा (true, real)
यकदिली- सहमत होना, दोस्ती (consensus, friendship)
मार्के - निशान (symbol, flag)
दीगर - अन्य, दूसरे (other)
शब - शाम (evening)
वस्ल -मिलना, मिलन (meeting, union)
#shayari #poetry #love #life #evening