#हिमकण
#हिमकण
आसमान से गिरा
ओढ़े हुए खामोशी की चादर
ज़मीन पर बिछ गया
ज्यों दिखाता सबको आदर
क्यों कर आकार मिला
क्यों कर धरा का श्रृंगार हुआ
क्यों हवा में उड़ता झूमा
क्यों इस तरह मिटना स्वीकार हुआ
जीवन का अस्तित्व नहीं अकेले रहने में
क्यों फिर दिशाहीन हो घूमता रहा
हर बार का आना जाना ऐसा
हर बार मिट मिट कर बनता रहा
© संवेदना 🍃
आसमान से गिरा
ओढ़े हुए खामोशी की चादर
ज़मीन पर बिछ गया
ज्यों दिखाता सबको आदर
क्यों कर आकार मिला
क्यों कर धरा का श्रृंगार हुआ
क्यों हवा में उड़ता झूमा
क्यों इस तरह मिटना स्वीकार हुआ
जीवन का अस्तित्व नहीं अकेले रहने में
क्यों फिर दिशाहीन हो घूमता रहा
हर बार का आना जाना ऐसा
हर बार मिट मिट कर बनता रहा
© संवेदना 🍃