...

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मुझसे लिपटा इश्क तुम्हारा...
इतना सज धज के आखिर किसका इंतज़ार कर रही हो,
होठों पे सजाए मुस्कान, स्वेत साड़ी में अप्सरा लग रही हो।

तुम्हारे माथे की चमकती बिंदी, ये उछलती जुल्फें तुम्हारी,
तुम्हारी खनकती चूड़ियां और उनको पुकारती बाहें तुम्हारी।

मन उनका भी मचल उठता होगा जब होती होंगी बातें तुम्हारी
दिन का रिश्ता है,उनको भी ज़रूर तड़पा रहीं होंगी यादें तुम्हारी।

तुम्हारे गले से लिपटा,खुशफहमी में इतराता हार कुछ कह रहा है।
उनसे भी ज्यादा खुशकिस्मत तो ये है शायद इसे ऐसा लग रहा है।

लेकिन इसे क्या पता कि उनकी सांसों से तुम्हारी सांसे जुड़ी हैं,
जहां शुरु हैं खुशियां उनकी वहीं तो तुम्हारी भी राहें मुड़ी हैं।

कितना भी बहकें हवाएं,तुम्हारी रूह में उन्हीं के स्पर्श की सिरहन है,
मन में सिर्फ उनका ख्याल, उन पर ही खत्म तुम्हारा हर करम है।

उनकी यादों से ज्यादा खूबसूरत ना कोई खयाल बना अब तक,
तुम्हारा इश्क वक्त से परे है जाना,रहेगा चांद सूरज हैं तब तक।

आकांक्षा मगन "सरस्वती"


© आकांक्षा मगन "सरस्वती"