...

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पहले
अंधेरा कभी ना मिटाया गया,शाम हो गई दिन गुजरने से पहले,

कंधों पे थी मेरे जिम्मेदारियां, दिल में अरमान जगने से
पहले,

बस धुएं में ही लकड़ी खत्म हो गई,आग ज़रा लगने से
पहले,

अपनी बेबसी उसको कभी जता ना सका,दूर होने से
पहले,

तमन्ना बहुत थी पर वफ़ा निभा ना सका, साथ छूटने से पहले,

आंखों का सागर ना छलका कभी,दिल हो गया पत्थर टूट जाने से पहले,

जो चाहा कभी ना मिला,हर ख्वाहिश मर गई पूरी हो पाने
से पहले,

जनून ए कलम ने ही राहों पे साथ निभाया मंज़िल ढूंढ लाने से पहले,

एक ही तमन्ना हैं बाकी बची 'ताज' जीनी हैं ज़िन्दगी राख बनने से पहले।
© taj