...

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thi Andheron me kuchh bat bhi...
थी कुछ अंधेरों में बात भी,
चाहिए था कुछ जुगनुओ का साथ भी,

थी कुछ नींदे उडी हुयी कसरत से,
रहा ख्वाब देखने का मलाल भी,

समझ थे इशारे सफर के सितारों के,
पर भटक के ही मिलनी थी मंज़िल है आवारगी में कोई बात भी,

हमेशा साथ रखेंगे उनकी यादों के खज़ाने,
वैसे तो बेफिक्रे थे पर रहते थे परेशांन भी,

आगे बढ़ गये फिर उसके मूर जाने पर सफ़र मैं,
खुश हैं मगर बैचन कहीं मिले तो बताये उसको ये बात भी,

चाहिए था साथ ज़िन्दगी भर का "जावेद"
उनके ग़मो से लगाये बैठे थे बहोत आस भी...
© y2j