चाहत
मेरे मालिक किसी को किसी पर फिदा न कर
गर करे तो कयामत तक जुदा न किया कर
जुनून की हद तक चाहत बड़ जाय अगर
हालत के सितम की रुसवाइया ना किया कर
टूट सा जाता है अंदर तक इंसान आधे अधूरे इश्क में ,
बेवफाई झूठ फरेबी सनम न दिया कर
झूठा दिलासा दिल को बर्बाद बड़ा करता है
न हो इश्क़ तो बेहतर है
किसी के लिए झूठा बेपरवाह इश्क
किसी को बे इंतेहा चाहत न दिया कर
गर करे तो कयामत तक जुदा न किया कर
जुनून की हद तक चाहत बड़ जाय अगर
हालत के सितम की रुसवाइया ना किया कर
टूट सा जाता है अंदर तक इंसान आधे अधूरे इश्क में ,
बेवफाई झूठ फरेबी सनम न दिया कर
झूठा दिलासा दिल को बर्बाद बड़ा करता है
न हो इश्क़ तो बेहतर है
किसी के लिए झूठा बेपरवाह इश्क
किसी को बे इंतेहा चाहत न दिया कर