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तुलनीय श्रृंगार
#Humiliation

तुम तो हो प्यारी कमलनयन सी मैं जल्लाद हूं लाल आंख का।
तुम तो कीमती हो हीरे के जैसी मैं बेहद सस्ता जली राख सा।

तुम मधुर बीयर हो मधुशाला की मैं पौवे का देशी ठर्रा।
तुम कर रही शांत आत्मा को मै कर रहा उजागर मनका कोना कोना।

तुम शांत बहती हुई नदी हो मैं तो हूं समुद्र अक्रामक लहरों वाला।
तुम हो सुंदरता शिमला की मैं तो प्रदेश हूं गंदे शहरों वाला॥

तुम पतित पावनी गंगा जैसी हो मैं तो हूं मैला कर्मनाशा सा।
तुम तन से कोमल कमल जैसी हो मैं तो कठोर हूं पत्थर सा॥

तुम हो राजदुलारी मथुरा की मैं तो वृंदावन का छलिया॥
तुम हो गोरी आइसक्रीम सी मैं तो हूं कालिख सा करिया॥

© ranvee_singh