मां कहती थी घोड़ा
रंग बिरंगी थी सपनों की गोटी
छूप छुप खाया करते थे_ एक दूजे की रोटी।
आंगन छत_ छत से चौबारा
सवाल सवालों के जवाब थे_दुनिया उतनी छोटी।
चख चख कर देखा था ,पानी मीठा आंसू खारा
होठ खोलने पर मिलती...
छूप छुप खाया करते थे_ एक दूजे की रोटी।
आंगन छत_ छत से चौबारा
सवाल सवालों के जवाब थे_दुनिया उतनी छोटी।
चख चख कर देखा था ,पानी मीठा आंसू खारा
होठ खोलने पर मिलती...