...

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सांसें हैं मगर क्यूं ज़िंदा मैं नहीं
मुझे कितना अकेलापन महसूस होता है
काश कह पाती किसी से कभी
जी रही हूं ये लोगों को लगता है
पर असलियत क्या है
ये सिर्फ़ मेरा दिल ही जानता है
सबने हां सबने दिल तोड़ा है
मेरे अपनों ने ही मुझे इस हाल में छोड़ा है
ग़म छुपाने की आदत जो है बरसों से
इसलिए सबको मुस्कुराना मेरा सच लगता है
सबका खयाल रखने वाला
जिसका खयाल रखने वाला कोई ना हो
कभी सोचा है उन्हें कैसा लगता है
दिल धड़कता तो है पर जीना सज़ा लगता है ...