...

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वफ़ा
आज कल लोग चेहरे पर नक़ाब लगाकर घूमते हैं,

जो ज़िन्दा नहीं अब दुनियां में उसे क्यों ढूंढते हैं?

किसी मासूम की वफ़ा को खूब पैरों तले रौंदते हैं,

हर अरमान, हर जज़्बात उसका गिद्ध जैसे नोंचते हैं,

पहले झूठा प्यार दिखाकर विश्वास उसका जीतते हैं,

और मन भर जाने पर उसे ज़िन्दा तड़पने को छोड़ते हैं,

उसकी आंखों में सजाकर सपने ख़ुद ही तोड़ते हैं,

भरता नहीं मन दिल से फिर जिस्म से खेलते हैं,

अंत में तोड़कर रिश्ता उसे ही बेवफ़ा कहते हैं।
© taj