एक सलाम
दूर सरहदो पे गोलियाँ झेलके भी
कभी ना जिसने अपना सिर झुकाया है,
एक सलाम उस शहीद जवान को भी
जिसने इस मिट्टी का कर्ज़ चुकाया है।
बाढ़ और सूखे से परेशान होकर भी
अपने खेत में जिसने हल चलाया है,
एक सलाम उस मेहनती किसान को भी
जिसने इस देश का अनाज उगाया है।
दो सौ साल की गुलामी के दाग को
जिन लोगो ने अपने खून पसीने से मिटाया है,
एक सलाम उन स्वतंत्रता सेनानियों को भी
जिन्होंने इस देश को आज़ाद कराया है।
पूरव हो, पश्चिम हो, उत्तर हो या दक्षिण
हर जगह देशभक्ति का रंग गहराया है,
एक सलाम उन मस्त मौला हवाओं को भी
जिनके सहारे आज फिर ये तिरंगा लहराया है।
लवकुश गुप्ता
Love Gupta
© Lavkush Gupta
कभी ना जिसने अपना सिर झुकाया है,
एक सलाम उस शहीद जवान को भी
जिसने इस मिट्टी का कर्ज़ चुकाया है।
बाढ़ और सूखे से परेशान होकर भी
अपने खेत में जिसने हल चलाया है,
एक सलाम उस मेहनती किसान को भी
जिसने इस देश का अनाज उगाया है।
दो सौ साल की गुलामी के दाग को
जिन लोगो ने अपने खून पसीने से मिटाया है,
एक सलाम उन स्वतंत्रता सेनानियों को भी
जिन्होंने इस देश को आज़ाद कराया है।
पूरव हो, पश्चिम हो, उत्तर हो या दक्षिण
हर जगह देशभक्ति का रंग गहराया है,
एक सलाम उन मस्त मौला हवाओं को भी
जिनके सहारे आज फिर ये तिरंगा लहराया है।
लवकुश गुप्ता
Love Gupta
© Lavkush Gupta