किसी के आने से...
किसी के आने से मेरी मौजूदगी रहती नहीं,
वक़्त ना देने की फिर नाराज़गी रहती नहीं।
जाने कितने समझ आते हैं ख़ामोश लफ़्ज़,
पहले सी अल्फ़ाज़ में दीवानगी रहती नहीं।
साँसों में बस के साथ चले...
वक़्त ना देने की फिर नाराज़गी रहती नहीं।
जाने कितने समझ आते हैं ख़ामोश लफ़्ज़,
पहले सी अल्फ़ाज़ में दीवानगी रहती नहीं।
साँसों में बस के साथ चले...