आंखें
अरे इन आंखों में इतना नशा है,,
कि हमें होश कहां रहता है
कैसे काबू में रखे इन्हें,,
आपको देखते ही हमारे बस में कहां कुछ रहता है
क्या इस जमाने में मोहब्बत इतनी सस्ती हो गई ।मुर्शद
की हर गली में एक नया आशिक होता है ।
और बड़ी शान से वो आशिक यहीं कहता है।
आशिक है भाई मोहब्बत करते हैं।
वो नहीं मिली तो कोई और लेकिन मिलेगी तो,
जरूर आशिक है भाई मोहब्बत जो करते हैं।
Naaz
कि हमें होश कहां रहता है
कैसे काबू में रखे इन्हें,,
आपको देखते ही हमारे बस में कहां कुछ रहता है
क्या इस जमाने में मोहब्बत इतनी सस्ती हो गई ।मुर्शद
की हर गली में एक नया आशिक होता है ।
और बड़ी शान से वो आशिक यहीं कहता है।
आशिक है भाई मोहब्बत करते हैं।
वो नहीं मिली तो कोई और लेकिन मिलेगी तो,
जरूर आशिक है भाई मोहब्बत जो करते हैं।
Naaz