...

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यूं ही
सादगी पर तेरी, हम यूं मर गए
जैसे तिमिर को उजाले मिल गए।
हसरत थी कि तुझ पर गजलें लिखें
पर शब्दों को खोज में सालों लग गए।
तुम इंतजार के भवर में फंस गई
और हम आटा दाल करते रह गए।
वक्त बड़ा बे मुरवत है, सांसे दे कर
रोज रोज, हम जीना छोड़ गए।
©jyoti_
© Jyoti Dhiman