सांझ को फिर निमंत्रण मिला है ....
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
बे-वज़ह क्यूँ दिल तेरा दहला है
बिस्तर पे नींद आए भी तो कैसे
धरा पर है ही नहीं लोरी सुनाने वाली.....!!
अब तो ये सांझ फिर नहीं आने वाली.....!!
सांझ ढलते ही निशा का आगमन हो रहा है
अपने अपने बसेरों की तरफ गमन हो रहा है
पुरजोर कोशिश में हैं, कि अंधेरा ...
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
बे-वज़ह क्यूँ दिल तेरा दहला है
बिस्तर पे नींद आए भी तो कैसे
धरा पर है ही नहीं लोरी सुनाने वाली.....!!
अब तो ये सांझ फिर नहीं आने वाली.....!!
सांझ ढलते ही निशा का आगमन हो रहा है
अपने अपने बसेरों की तरफ गमन हो रहा है
पुरजोर कोशिश में हैं, कि अंधेरा ...