मददगार हाथ
सफर ए जिंदगी के मोड़ पर कई बार पैर फिसल जाता हैं,
तब कोई मज़ाक बनाता हमारा तो कोई मदद को हाथ बढ़ाता है,
जब भी उठता विश्वास इंसानियत से तब ही कुछ न कुछ हो जाता हैं,
कभी बेजुबान तो कभी खाकी के रूप में कोई मदद का हाथ बढ़ाता है,
फरेब की इस दुनिया में चाहकर भी सीरत कोई न बदल पाता है,
तभी तो हर बार धोखा खाने के बाद भी मदद के हाथ आगे बढ़ाता है,
पैसों...
तब कोई मज़ाक बनाता हमारा तो कोई मदद को हाथ बढ़ाता है,
जब भी उठता विश्वास इंसानियत से तब ही कुछ न कुछ हो जाता हैं,
कभी बेजुबान तो कभी खाकी के रूप में कोई मदद का हाथ बढ़ाता है,
फरेब की इस दुनिया में चाहकर भी सीरत कोई न बदल पाता है,
तभी तो हर बार धोखा खाने के बाद भी मदद के हाथ आगे बढ़ाता है,
पैसों...