Sirf Main ......
बादलों की जकड़न में एक धूल की तरह कैद़ हूं
खुले आसमान में भी उस पिंजरे में फंसा हूं
सूरज की गर्मी में भी एक शांत और शीतल पानी हूं
छलकती रोशनी में भी अंधेरे का साम्राज्य हूं
अनकहे अल्फ़ाज़ों में वो "हम्म" का एहसास हूं
टिमटिमाते तारों में उस चांदनी का दोस्त हूं
मेरा मुझमें "मैं" ना रहा उस खालीपन का मिजाज़ हूं
अनंत...
खुले आसमान में भी उस पिंजरे में फंसा हूं
सूरज की गर्मी में भी एक शांत और शीतल पानी हूं
छलकती रोशनी में भी अंधेरे का साम्राज्य हूं
अनकहे अल्फ़ाज़ों में वो "हम्म" का एहसास हूं
टिमटिमाते तारों में उस चांदनी का दोस्त हूं
मेरा मुझमें "मैं" ना रहा उस खालीपन का मिजाज़ हूं
अनंत...