...

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ज़ख़्म
अधूरी मेरी दास्ताँ
सुनाऊँ तो क्या सुनाऊँ
ज़ख़्म दिल के हरे
दिखाऊँ तो क्या दिखाऊँ !
रौशन हूँ यादों से
बुझाऊँ तो क्या बुझाऊँ
हँसता है ज़माना
समझाऊँ तो क्या समझाऊँ !!
© "the dust"