मेरी नज़र से देखो न
क्यूंँ डरती हो तुम यूंँ,
प्रीत की रीत निभाने से।
क्यूंँ डगमगाते है पग यूंँ,
प्रेम की डगर चलने से।1
दिल से दिल निश्छल मिले,
मधुर प्रेम कोई दिखावा नहीं।
देखो तुमसे मेरा यह लगाव ,...
प्रीत की रीत निभाने से।
क्यूंँ डगमगाते है पग यूंँ,
प्रेम की डगर चलने से।1
दिल से दिल निश्छल मिले,
मधुर प्रेम कोई दिखावा नहीं।
देखो तुमसे मेरा यह लगाव ,...