...

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जिंदगी ?
जिंदगी क्या चाहती है ?
न इसका पता मुझे है,
न तो उसे,फिर भी मन करता है कि,
मैं जिंदगी से पुछूं,
कि वो चाहती क्या है ?
जब हंसना चाहती हुं मैं
तो जिंदगी मुझे रूला देती है
जब मेरे सपने पूरे होने के ,
कगार पर पोहच जाते तभी,
जिंदगी उनसे खिलवाड़ करके
उन्हें तोड देती है ,
मेरी समझ से परे है ,
आखिर जिंदगी क्या चाहती है.....
© Feeling