बड़े जतन से समेटता रहा
तू 'तू' नहीं एक हसीन वक्त था मेरा
जिसे जिया था मैंने फुरसत मेंकभी
शौक नहीं मेरी आदत में शामिल था
गर भला नहीं तो बेशक बुरा ही सही
नज़रें भी हारकर ठहरी थी तुझ पर
इतनी दिलकश कोई खता...
जिसे जिया था मैंने फुरसत मेंकभी
शौक नहीं मेरी आदत में शामिल था
गर भला नहीं तो बेशक बुरा ही सही
नज़रें भी हारकर ठहरी थी तुझ पर
इतनी दिलकश कोई खता...