रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
सारे लोग तेरे शहर में मेरे दीवाने हैं
लोग कहते हैं मेरा हुस्न नशीली हाला है
देख लेते जो वो जाते नहीं मयखाने हैं
साकी सब ख़फ़ा हैं तेरे शहर के मुझसे
सूने हो गए शहर के सभी मयखाने हैं
पीते रहते थे जो दिनरात जी भरकर
फेंक दी बोतल सबने, बन गए मेरे परवाने हैं
© दुर्गाकुमार मिश्रा
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
सारे लोग तेरे शहर में मेरे दीवाने हैं
लोग कहते हैं मेरा हुस्न नशीली हाला है
देख लेते जो वो जाते नहीं मयखाने हैं
साकी सब ख़फ़ा हैं तेरे शहर के मुझसे
सूने हो गए शहर के सभी मयखाने हैं
पीते रहते थे जो दिनरात जी भरकर
फेंक दी बोतल सबने, बन गए मेरे परवाने हैं
© दुर्गाकुमार मिश्रा
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