...

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तक़दीर ए प्यार
थे हम सफ़र में उस वक्त मंज़िल के
तब पहली दफा किया हमने दीदार था
इक मुलाक़ात में सारा ऐतमाद लुटा दिया
इतना ख़ुद पर भी ना किया ऐतबार था

था वो वक्त जीवन के शबाब का
मेरे दिल के टूटें हुएं ख़्वाब का
पर जब इज़हार ही रह गया अधूरा
तो फ़िर कैसे हों इंतजार उनके जवाब का

गुज़र गया वो ना जाने कहीं
बस ख्यालों में धुंधली तस्वीर हैं
संग जिसका मांगा हमने दुआओं में
बस उसकी दूरियों की मेरी तक़दीर हैं

दिल इक दफा जो निसार हों गया
उसकी जुस्तजू में वो बेकरार हो गया
दुनिया कहती लाखों हैं मिलेंगे भूल जा
पर...