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...***वो और मैं ***...
वो कहती है,
एक लड़की को महफिल में मशहूर कर वो खुद को शायरबाज समझता है,
उस लड़की पर क्या गुजरती होगी सुनकर ऐसी बातें, वो ये नहीं सोचता है।
क्या कसूर था उस लड़की का..." जो बस मना किया उसने"
अब इस तरह मशहूर कर कहता है वो मोहब्बत बेशुमार करता है।
मेरा कहना है,
किसी का नाम लेकर नहीं हम किसी को बदनाम करते हैं ,
हम शायर नहीं है जान बस दर्द लिखते हैं ।
अधूरे सफर में ... "साथ छोड़ कहती हो सिर्फ मना किया है"
महफिल में तुम्हारा नाम ना लेते हुए भी हमने उस दर्द को बयां किया है ।
तो बोलो मेरी जान हमने कौन सा गुनाह किया है ।
तो बोलो मेरी जान हमने कौन सा गुनाह किया है ।
एक लड़की को महफिल में मशहूर कर वो खुद को शायरबाज समझता है,
उस लड़की पर क्या गुजरती होगी सुनकर ऐसी बातें, वो ये नहीं सोचता है।
क्या कसूर था उस लड़की का..." जो बस मना किया उसने"
अब इस तरह मशहूर कर कहता है वो मोहब्बत बेशुमार करता है।
मेरा कहना है,
किसी का नाम लेकर नहीं हम किसी को बदनाम करते हैं ,
हम शायर नहीं है जान बस दर्द लिखते हैं ।
अधूरे सफर में ... "साथ छोड़ कहती हो सिर्फ मना किया है"
महफिल में तुम्हारा नाम ना लेते हुए भी हमने उस दर्द को बयां किया है ।
तो बोलो मेरी जान हमने कौन सा गुनाह किया है ।
तो बोलो मेरी जान हमने कौन सा गुनाह किया है ।
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