...

17 views

,,,जीवन का यथार्थ"
प्रभूजी,
जीवन के यथार्थ को मैंने सिर्फ़ इतना ही जाना,के...
ये जीवन परिवर्तनशील,
कुछ भी यहाँ स्थिर नहीं...
नित नयी परिस्थिति में, ढलता जीवन...
पल भर भी जिसमें चैन नहीं...
लुटाते चलो, कदम-कदम पर अपनी सौगातों को...तो भी,
प्रभु समर्पण के बिन,ऐसा जीवन.. सपनों में जैसे नैन नहीं...
भटकना ही भटकना लगा रहता अभिमान का...उम्र भर...
पल भर भी बैठने को जैसे..
किसी बड़े के ममतामयी आँचल का साया स्वीकार नहीं..
ओह! ये विडम्बना मानव मन की...
जो नहीं हैं पास, उसे पाने की लालसा है, और जो पास है, उसे देखने की चाह नहीं,
बड़ी विकट माया है... प्रभु जी,आपकी ...
जितना निकट आने की कोशिश करते हैं, आपके..उतना ही लगता हैं, अभी हम निकट नहीं...
हाँ..सफ़र ये जन्मों-जन्मों का ही सही...
जीवन हमारा, आपका ऋणी ही सही...
सारा जग जानता हैं, साथी हमारा वफ़ादार हैं...
जो लेन देन हैं, बस तुमसे हैं, प्रभुजी...
मिथ्या ज़माने से हमारा कोई उधार नहीं...
तुम ये न समझना प्रभूजी...
मैंने माया को तेरी नकार दिया...
असल में बात ये हैं...
तेरी सोहबत के बिना..हाँ ..हाँ..तेरी सोहबत के बिना.........
कोई जमाना, जमाना नहीं।
कोई जमाना, जमाना नहीं।

ऐसी मननशील रचना के लिये...आभार प्रभूजी।🌹🇮🇳🙏🌍🐚

#प्रभुकृपा #@Lali9533 #Natureworkhard #Soulnature #निष्काम #Soulmate #Self_adventure #Lifestyle #Love #Inspiration






© bitiya