हाँ मर्द को भी दर्द होता है .....💔
ना समझो पत्थर का टुकड़ा
उसके सीने में भी दिल होता है
आंखें बेशक ना हों नम
पर अंतर मन रोता है
हाँ मर्द को भी दर्द होता है
जब अपना कोई ठुकराता है
निरअपराध इल्जाम लगाता है
तब घायल हुए जज्बातों को
वो भीतर ही कहीं दफनाता है
आँखें बेशक ना हों नम
पर अंतर मन रोता है
हाँ मर्द को भी दर्द होता है
जब हो आर्थिक लाचारी
घर को घेरे हो बीमारी
जब दांव लगी हो ख़ुद्दारी
तब बेबस हो वो तड़पता है
आंखें बेशक ना हों नम
पर अंतर मन रोता है
हाँ मर्द को भी दर्द होता है
ये सख्त...