आत्मसम्मान
देख मनु, आज फिर इंसानियत हार गया
बीच सड़क पर हुआ पुनः शर्मसार रहा,
अपनी काया की आड़ में बैठ कर
बर्बरता का अपना उसने फिर प्रचार किया,
पी कर कड़वा घुट आत्मसम्मान का
बेबस वो लाचार खड़ा रहा,
है धिक्कार तुझ पर इंसां
मूक बन कर भीड़ तू भी तमाशा था देख रहा,
किसी ने...
बीच सड़क पर हुआ पुनः शर्मसार रहा,
अपनी काया की आड़ में बैठ कर
बर्बरता का अपना उसने फिर प्रचार किया,
पी कर कड़वा घुट आत्मसम्मान का
बेबस वो लाचार खड़ा रहा,
है धिक्कार तुझ पर इंसां
मूक बन कर भीड़ तू भी तमाशा था देख रहा,
किसी ने...