सफर-ए-हयात
यार भी राह की दीवार समझते हैं मुझे,
मैं समझता था मेरे यार समझते हैं मुझे,
जड़ उखड़ने से झुकाव है मेरी शाखों में
दूर से लोग समर बार समझते हैं मुझे
क्या खबर कल यहीं ताबूत मेरा बन जाये
आज जिस तख़्त का हक़दार समझते हैं मुझे
नेक लोगो में मुझे नेक...
मैं समझता था मेरे यार समझते हैं मुझे,
जड़ उखड़ने से झुकाव है मेरी शाखों में
दूर से लोग समर बार समझते हैं मुझे
क्या खबर कल यहीं ताबूत मेरा बन जाये
आज जिस तख़्त का हक़दार समझते हैं मुझे
नेक लोगो में मुझे नेक...