...

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मेरी चाहत।
विनम्रता की प्रतिमा,
जग में फैलाती अपनी गरिमा,
सौम्यता की मूर्ति,
जग में फैलाए कीर्ति,
ऐसी हो मेरी दिलरुबा,
मन में है यही कामना,
हो जाय जल्द,
ऐसी शख्सियत से सामना,
दिल ओ दिमाग...