...

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एक प्रेमी
न प्रेमी के लिए, न प्रेमिका के लिए
पर लिखुगां प्रेम पर
मुझे प्रेमी होना आया नहीं, प्रेमिका बनाने आया नहीं
इसलिए कोई ज़िक्र न करूंगा किसी शब्द का जो प्रेमी-प्रमिका से संबंध हो
परंतु हाँ ,प्रेम का जिक्र जरूर होगा क्योंकि इसका संबंध है अस्तित्व से

तुम प्रेमी बनो ज्ञान का, तुम प्रेमी बनो विज्ञान का
तुम प्रेमी बनो जिज्ञासा का, तुम प्रेमी बनो अभिलाषा का
तुम प्रेमी बनो इस अस्तित्व को समझने का
तुम प्रेमी बनो ईश्वर को जानने का
ये जीवन प्रेम की धारा है,
ये जीवन प्रेम से गढ़ा हुआ अस्तित्व है
ये जीवन है, इसे जानना है ,समझना है तब जीभर के जीना है।