जीत पक्की है..
हर लफ़्ज़ है कहती मुझसे,क्यों शिथिल पड़ा है मन तेरा
मंज़िल तो तेरी वही पड़ी है, बस तू रस्ते में रुका खड़ा
जो ख्वाब को पाने निकला है,तो सफर कहां आसान मिले, हर राह...
मंज़िल तो तेरी वही पड़ी है, बस तू रस्ते में रुका खड़ा
जो ख्वाब को पाने निकला है,तो सफर कहां आसान मिले, हर राह...