वो मिलकर भी मिला नही....
मुझे तलाश थी उस तलाश की,
जो मिलकर भी मिला नहीं,
ये बात कुछ अजीब थी
मैं कयी रात जागती रही,
बस चांद ताकती रही,
वो ओस बनके गिरता रहा,
फूलोँ से लिपटता रहा,
यह बात कुछ अजीब थी
वो कभी साथ साथ भी चल रहा था,
पर अंधेरे को पकड़ रहा था,
मेरी परछाईं था, आईना था,
फिर भी रोशनी को झटक रहा था
यह बात कुछ अजीब थी
फिर अचानक से एक दिन
वो बनकर प्यार बरस गया,
कुछ बादलों से उलझ गया,
सोचा सब सुलझ गया,
मैं नदी ही रह गयी,
वो समुंदर बन गया
ये बात कुछ अजीब थी
वो मिलकर भी मिला नही.....ईशा
जो मिलकर भी मिला नहीं,
ये बात कुछ अजीब थी
मैं कयी रात जागती रही,
बस चांद ताकती रही,
वो ओस बनके गिरता रहा,
फूलोँ से लिपटता रहा,
यह बात कुछ अजीब थी
वो कभी साथ साथ भी चल रहा था,
पर अंधेरे को पकड़ रहा था,
मेरी परछाईं था, आईना था,
फिर भी रोशनी को झटक रहा था
यह बात कुछ अजीब थी
फिर अचानक से एक दिन
वो बनकर प्यार बरस गया,
कुछ बादलों से उलझ गया,
सोचा सब सुलझ गया,
मैं नदी ही रह गयी,
वो समुंदर बन गया
ये बात कुछ अजीब थी
वो मिलकर भी मिला नही.....ईशा